Mai pahali bar nepal yatra pe nikala mai aur mere 2 dost mere khushi ka thikana nahi tha mai bahut khus tha .man me ek ullas thi umang tha par kya pata tha umang aur utsah thaharte hai kabhi nhi ,jaise dukh ke sath shukh ,din ke satha raht lagi rahati .
प्रिय दोस्तो, समय की व्यस्तता की वज़ह से आप लोगों मेरे ब्लॉग पर अगली घटना से रुबरू नही हो पाए ,इसके लिए हम आप लोगो से क्षमा चाहता हूँ! मेरी पहली यात्रा के चौथे अंक में पढ़ा कि हैम लोग नेपाल पहुच चुके थे,रात्रि में एक होटल में ठहरे भोजन किये और मस्ती भरी बाते हुई और हैम लोग सो गए! सुबह चार बजे हैम जागे और देखा कि कमरे का दरवाजा खुला था, कुछ लोग के फोन चार्ज में लगा था ममैने देखा तो सोचा सभी लोग सो रहे है फोन सब उसी तरह पड़ीं हुई है अगर कोई लेकर चल जाये तो........ मैंने दरवाजा बंद कर दिया फिर लेट गए कुछ समय बाद किसी ने दरवाजा खट- खटाया मैंने बोला" who are you", दरवाजा खट-खटाना बंद हो गया, ऐसा ही दो तीन बार हुआ कुछ आवाज भी नही दे रहा था कि मेरे दोस्तों ने बोला क्यो अंग्रेजी में बोल रहे है कोई साफ-सफाई करने वाला होगा कही वो अंग्रेजी नही समझता हो तो, तब मैंने बोलै कौन है?तो आवाज आई की मैं हूं गाड़ी मालिक!मुझे तो हँसी आने लगी पूछा आप बोल क्यो नही रहे थे तब उन्होंने कहा ...
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